आचरण की सभ्यता का सारांश - सरदार पूर्ण सिंह Acharan ki Sabhyata ka Saransh

आचरण की सभ्यता का सारांश - सरदार पूर्ण सिंह Acharan ki Sabhyata ka Saransh:- आचरण की सभ्यता मानवीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह व्यक्ति के व्यवहार, शृंगार, समाज, और संगठन में गठन होती है। एक व्यक्ति के आचरण की गुणवत्ता उसके स्वभाव और सामाजिक दृष्टिकोण का प्रतिबिम्ब होती है।

शुद्ध आचरण व्यक्ति को सम्मान, सुरक्षा, और सफलता की ओर ले जाता है। इसके विपरीत, अनुशासनहीन और अधर्मी आचरण व्यक्ति को संघर्ष, निराशा, और नुकसान की ओर ले जाता है।

आचरण की सभ्यता में नम्रता, दया, प्रेम, और उदारता का महत्वपूर्ण स्थान होता है। ये गुण व्यक्ति के मन, वचन, और कर्म में प्रकट होते हैं। एक व्यक्ति जो इन गुणों के साथ अच्छे आचरण करता है, वह समान से सम्मान प्राप्त करता है।

उनके वचन सभी को प्रभावित करते हैं और उनके कर्म से वे अपने समुदाय और समाज का भलाई करते हैं। एक सच्चे आचरण के धार्मिक या आध्यात्मिक व्यक्ति के वचन और कर्म दूसरों के मनों को प्रभावित करते हैं और उन्हें सच्चाई, सुख, शांति, और प्रेम का अनुभव कराते हैं।

एक गरीब पहाड़ी किसान और शिकारी राजा के उदाहरण द्वारा सरदार पूर्ण सिंह ने आचरण की सभ्यता को स्पष्ट किया है। इस उदाहरण से साबित होता है कि आचरण के माध्यम से एक व्यक्ति अपने आप को और दूसरों को परिवर्तित कर सकता है।

शिकारी राजा ने बुरा आचरण किया और उसके हृदय में दोष भर गए, जबकि किसान ने अच्छा आचरण किया और उसके हृदय में पवित्रता और प्रेम भर गए। इस उदाहरण से स्पष्ट होता है कि आचरण का प्रभाव मन को प्रभावित करता है और मन की स्थिति व्यक्ति के जीवन को निर्धारित करती है।

सभ्यता की प्राप्ति के लिए आचरण का विकास आवश्यक है। इसके लिए व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक स्तर पर सभ्यता के सामग्री को जुटाने की आवश्यकता होती है। व्यक्ति को सच्चे आचरण के लिए निष्कपट और सतत परिश्रमी होना चाहिए।

अच्छे आचरण करने वाला व्यक्ति समाज के भेद-भाव, धन-दौलत की परवाह किए बिना सबको प्रभावित करता है। यह व्यक्ति सम्पूर्णता की ऊँचाइयों को प्राप्त करता है और आचरण के माध्यम से व्यापारिक या सामाजिक सफलता की प्राप्ति करता है।

धर्म या जाति के आधार पर किसी को सभ्य या असभ्य नहीं माना जाना चाहिए। बल्कि व्यक्ति के आचरण, परिश्रम, और कर्मों के आधार पर उसे महान बनाना चाहिए। आचरणहीन व्यक्ति कभी भी सभ्यता की प्राप्ति नहीं कर सकता है।

उसे ऊँच-नीच, अमीरी-गरीबी के भेदभाव से मुक्त हो जाना चाहिए ताकि वह सभ्य आचरण की प्राप्ति कर सके। सर्दार पूर्ण सिंह जी ने ध्यान दिया है कि आचरण की सभ्यता के लिए व्यक्ति को समाजिक और आध्यात्मिक मानव संसाधनों को संयोजित करने की आवश्यकता होती है।

आचरण की सभ्यता का सारांश - Acharan ki Sabhyata ka Saransh

लेखक सरदार पूर्ण सिंह
निबंध का विषय आचरण की सभ्यता
सभ्यता के महत्व मानवीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा
आचरण के गुणवत्ता नम्रता, प्रेम, दया, और उदारता
आचरण का प्रभाव सम्मान, सुरक्षा, सफलता या संघर्ष, निराशा, और नुकसान
उदाहरण गरीब पहाड़ी किसान और शिकारी राजा
आचरण के विकास के लिए शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक स्तर पर सभ्यता की सामग्री को जुटाने की आवश्यकता
आचरण के माध्यम से प्राप्ति सभ्यता की प्राप्ति के लिए निष्कपट और सतत परिश्रम

सारांश के रूप में, आचरण की सभ्यता मानवीय संगठन के निर्माण और समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह व्यक्ति के स्वभाव, चरित्र, और सामाजिक संगठन को प्रभावित करती है।

शुद्ध और नेक आचरण वाले व्यक्ति को सम्मान और सफलता प्राप्त होती है, जबकि दुर्जन और अनुशासनहीन आचरण वाले व्यक्ति को नुकसान और निराशा का सामना करना पड़ता है।

सर्वोच्च मानवीय मूल्यों की प्राप्ति के लिए व्यक्ति को नम्रता, प्रेम, दया, और उदारता के साथ अच्छे आचरण का पालन करना चाहिए।

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